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कविता

सबूत

दिव्या माथुर


तुम झूठे हो
मैं सच्ची
तुम सच्चे हो
मैं झूठी
क्या जीवन बीतेगा
यूं ही
सबूत इकट्ठा करते
अग्निपरीक्षा देते
संबंधो को स्थगित करते


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हिंदी समय में दिव्या माथुर की रचनाएँ