तुम झूठे हो मैं सच्ची तुम सच्चे हो मैं झूठी क्या जीवन बीतेगा यूं ही सबूत इकट्ठा करते अग्निपरीक्षा देते संबंधो को स्थगित करते
हिंदी समय में दिव्या माथुर की रचनाएँ