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कविता

दर्द का रिश्ता

दिव्या माथुर


इकतरफ़ा था
कब तक निभता
पूरी तरह से
टूटा न था
केवल चटका
कैसे निभता

जब तक मुझसे
निभा निभाया
दर्द का रिश्ता
टूटे हाथ सा
सदा साथ
रहता है लटका
दर्द दर्द
और दर्द है करता


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