इकतरफ़ा था कब तक निभता पूरी तरह से टूटा न था केवल चटका कैसे निभता
जब तक मुझसे निभा निभाया दर्द का रिश्ता टूटे हाथ सा सदा साथ रहता है लटका दर्द दर्द और दर्द है करता
हिंदी समय में दिव्या माथुर की रचनाएँ