मैं, छोड़ आया था 'माँ' पर छूटी नहीं, तुम जहाज-भर साथ रही मैंने, पहचाना नहीं - सूरीनाम नदी तट पर देश में तुम मेरे साथ हो अपनी परछाई में तुम्हें ही देखता हूँ 'माँ'
हिंदी समय में सुरजन परोही की रचनाएँ