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कविता

नदी के पानी में

सुरजन परोही


प्रवासी भारतवंशियों के पूर्वज
संस्कृति का खजाना लेकर
मजदूरी के लिए
सूरीनाम देश आए
अपनी बलि चढ़ाकर
वे अपनी पहचान बना गए
स्मृतियों में
धरती की मिट्टी में
नदी के पानी में।

 


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हिंदी समय में सुरजन परोही की रचनाएँ