अभिमान नहीं स्वाभिमान रच देश-धर्म और जाति का देश-धर्म और जाति-बीच छल-कपट के जीवन में स्वाद नहीं जीवन का रुको और रोको छल की दुनिया में मनुष्य होकर जाने में डरो-और-डरो
हिंदी समय में सुरजन परोही की रचनाएँ