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कविता

शांति-बोध

सुरजन परोही


संग्राम में
शांति की अनुभूति
भारतीय और भारतवंशी
हिंदुस्तान मूलवाले
हम सब सूर्यवंशी
सारे प्रतिरोधों के बावजूद

रह-रहकर
प्रवासी भारतीयों पर
देश-जाति-धर्म और संस्कृति पर
आक्रमण होता है -
कूटनीति से - आतंकवाद से

लोभ से धर्म-संस्कृति खरीदना
ग्रंथों में आग लगाना
सिर्फ अपने-अपने धर्म का
शांति-पाठ करना
क्या
हर धर्म अलग-अलग है?
क्या
मनुष्‍य-मनुष्‍य अलग है?
क्‍या
हर देश दूसरे से अलग है?
क्या मिट्टी अलग-अलग है-
किसी देश का हो
या किसी भी देह की हो

 


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हिंदी समय में सुरजन परोही की रचनाएँ