मेरी हड्डियाँ मेरी देह में छिपी बिजलियाँ हैं मेरी देह मेरे रक्त में खिला हुआ कमल क्या आप विश्वास करेंगे यह एक दिन अचानक मुझे पता चला जब मैं तुलसीदास को पढ़ रहा था
हिंदी समय में केदारनाथ सिंह की रचनाएँ