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कविता

पते की बात
अशोक गुप्ता


फूलों को कभी मुरझाने मत देना दोस्त,
उन्हें
बदल लेना लम्हों में,
वह
लम्हें ही है, जो कभी सूखते नहीं।

फूलों को
धीरे से उतार लेना अपने मन में,
मन में
ठहर कर बसे हुए फूल
बस, खिले ही नहीं रहते, खिलाए भी रखते हैं।

फूलों को कभी काँटों से अलग मत करना
मत देना काँटों को कभी
अलग कोई नाम
काँटे चुभते ही तब हैं,
जब वह
फूल से अलग हो जाते हैं।

फूल को कभी सिर्फ फूल मत समझाना दोस्त,
ऐसी गलती मत करना,
उसकी हर पंखुरी में
तुम्हारे लिए उम्र के सौ बरस छिपे हैं,
उतने ही रंगीन
और उतनी ही खुश्बू लिए।

मेरी इस बात को जरा ठहर कर समझना
ठहरना, हर बार
वक्त जाया करना नहीं होता...

 


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