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कविता

दीवार

अभिमन्यु अनत


दीवार खड़ी की गई थी
गाँव में भेड़िये का प्रवेश रोकने को

इस दीवार को गिरा दिया तुमने
दूसरी दीवार उन्हीं पत्थरों से
तुमने शहर में खड़ी कर दी
अपने बीच आदमी का प्रवेश रोकने को
अब गाँव में भेड़िये दिन दहाड़े आ जाते हैं
पर आदमी तुम तक नहीं पहुँच पाता
अभी पाँच साल होने में
कोई पाँच साल बाकी है।

 


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