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कविता

आँसू

आस्तीक वाजपेयी


मेरे आँसू तुम्हें देखकर
थम जाते हैं,
मेरा चेहरा हिमालय की
एक भीषण चोटी की तरह
उन्हें जमा लेता है।
मुझे पता नहीं कि तुम सामने हो,
या आँसुओं ने आँखों पर दया कर
भ्रम पैदा कर दिया।

 


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