कविता
शायद आस्तीक वाजपेयी
हर दिन हर पल ऐसा कुछ संभव है जो मुझसे परे भी है। जो मेरे अंदर से मुझे देखता है और पूछता है, तुम कौन हो ?
हिंदी समय में आस्तीक वाजपेयी की रचनाएँ