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					हमारे समय में 
					क्रांति भी एक फैशन है 
					सत्य, अहिंसा, करुणा 
					और दलितोद्धार 
					स्त्री-विमर्श 
					और गाँव के प्रति 
					जिम्मेदारी। 
					हमारे समय में 
					भक्ति भी एक फैशन है 
					सत्संग, 
					ईश्वर 
					और सहविचार। 
					प्रेम और मोह 
					सभी फैशन की तरह 
					यहाँ तक कि गांधीवाद 
					यथार्थवाद 
					अंतिम व्यक्ति की चिंता 
					और लाचारी। 
					हमारा समय 
					कुछ मुहावरों में 
					जिंदा है 
					सबको प्रोडक्ट की तरह 
					बेच रहा है 
					हर तरह के शुभ के लिए 
					एक दिन है 
					मदर डे 
					फादर डे 
					प्रेम दिवस 
					हिंदी दिवस 
					और जाने कितने 'डे' 
					और जाने कितने दिवस। 
					शांति 
					सद्भावना 
					और मैत्री 
					सब मुहावरों में 
					तब्दील हो गए हैं। 
					सब कुछ छपे हुए 
					जीवन की तरह है। 
					आदमी कुछ शब्दों में 
					शब्द कुछ अंकों में 
					अंक कुछ 
					वेबसाइट में 
					सूचनाओं में बदल गए हैं। 
					हमारे समय का आदमी 
					आदमी नहीं है 
					वह केवल संसाधन है 
					किसके लिए 
					हमारा समय 
					इसे जानता है 
					हम जो आदमी हैं 
					वे ही नहीं जानते। 
					हम अपने समय में हैं 
					यह एक अनुभव नहीं 
					एक खबर है 
					जो छप जाता है 
					और हम जान जाते हैं कि 
					हम हैं। 
					हम अपने समय की कोई 
					व्याख्या नहीं कर सकते। 
					सिर्फ उसमें हो सकते हैं 
					हमारी छोटी-बड़ी 
					एक कीमत है 
					जिसे देकर कोई भी 
					हमें खरीद सकता है। 
					हम अपने समय के ब्रह्मांड में 
					एक कोड हैं 
					एक बटन हैं 
					जिस पर उँगली पड़ते ही 
					हम जीने लगते हैं 
					और खेलने लगते हैं 
					और एक बटन से 
					हमारा जीवन बंद हो जाता है। 
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