बिजली गिरती है और एक हरा पेड़ काला पड़ जाता है फिर उस पर न पक्षी उतरते हैं न वसंत एक दिन एक बढ़ई उसे काटता है और बैलगाड़ी के पहिए में बदल देता है दुख जब बिजली की तरह गिरता है तब राख कर देता है या देता है नया एक जन्म।
हिंदी समय में एकांत श्रीवास्तव की रचनाएँ