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किसी भी कवि के लिए
हो सकता है -यह अनुभव
दर्द-क्षितिज के पार
क्षणिक शब्दों के बौछार का आगमन
मौन होकर
स्वागत है आनंद का
जो चला गया है चुपचाप
मुझे छोड़कर
कुछ क्षण की प्यास
जबकि बरसात की परछाईं से
बच्चों की तरह खुश था
कुछ समय बाद
कविता में कवि
लेकिन
पहले से ही जानता था कि
-वह ठहरेगी नहीं;
-चली जाएगी
इसलिए वह दु:खी नहीं था
मुक्त था
लिखने के लिए
यहाँ
कोई भी शब्द
बिगाड़े नहीं जाएँगे
न रातों में
न दिन में
बिना क्षितिज के दिवस होंगे
न सुबह होगी
न शाम होगी
चिड़ियों की पुकार उठाएगी
-चह-चह में घुलेगी राग-भैरवी
न ओस
न आवाज
लेकिन मौन रहेगा
अंतहीन रिक्तता में
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