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तुम्हारे कहीं
चले जाने के बाद
घास कितनी बढ़ जाती है
सूरज में कितनी चमक
दमक उठती है
और तुम !
अब अधिक समय के लिए
यहाँ नहीं हो
सूरज भी
अब नहीं ठहरता है।
पेड़ों के भीतर की थिरकन
पूरे सौंदर्य के साथ है
फूलों में सूँघता हूँ
तुम्हारा छूटा हुआ स्नेह
जो तुम्हारे घर के पिछवाड़े
बढ़ता है।
मैं फिर से तुम्हारा
मासूम चेहरा देखता हूँ
तुम्हें सुनने का आनंद-सुख
अपनी अंतिम साँस टूटने से पहले तक अभिशप्त
यहाँ जो कुछ भी
रोपा गया है
वह युवा सूरज को
उकसाता है।
पानी
तुम्हारे घर तक बढ़कर
बार-बार आता है
तुम्हें फिर से नया के लिए
वापस खींच ले जाना चाहता है
पानी
'लेन-देन' की एक जीवित तस्वीर है
तुम ! नहीं हो
फिर भी बचे हुए
जीवित हो
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