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रोशनी के युवापन से दमकती
मुलायम अनुभूति के लिए
साँस खींचती हुई
सिद्ध शब्दों में कहती है वह
उसके बगल में खड़ा हुआ मैं
सुन रहा हूँ किसी के विरुद्ध उसकी आवाज
जब मैं
उसके सामने के झूठ को
रँगता हूँ दिन के उजियारे शब्दों में
और अपनी तरफ से सुनता हूँ मैं
गंभीर मिठास के साथ तुम्हें
एक कवि की तरह हो जाने की आवश्यकता है।
मैं तरोताजा हो उठता हूँ !
मुलायम युद्ध की भाषा से
आज मैं आत्मनिर्भर हूँ
जब से उसके शब्द
मेरी देह के साथ
मुझमें रम गए हैं।
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