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ऐसा तो आया नहीं कोई
मेरे जीवन में
अब तक
जो न पिघला हो
मेरे अनुनय-विनय
मेरी दुनियादारी से
थोड़ा भी
बिल्कुल लौह कपाट की तरह
आपका हृदय
सुना है प्यार
छुपा रहता है
दुश्मनी में भी
कभी दुश्मन भी चाहते हैं
होना रु-ब-रु
आसपास होना
यकीन...
सच में
यकीन कर लेने का चाहता है
जी
किसी वक्त दुश्मन पर भी
पर, आप तो एकदम ठोस
ठस्स एकदम
पता नहीं, कितनी ऊर्जा
कितना ताप चाहिए
कि पिघल सकें आप
थोड़ा भी !
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