उन मुस्कानों की बलि जाऊँ सती की चिता की दीपशिखा पर जो लहराती रहती हैं निर्बल के कण-कण में भी जो ज्योति जगाती रहती हैं बलिदानों की ध्वजा निरंतर जो फहराती रहती हैं उन बलिदानों से बल पाऊँ उन वरदानों से भर पाऊँ उन मुस्कानों की बलि जाऊँ।