पाँच चिड़ियों ने खाली आकाश को सूने घाट पर नहाने आई सखियों-सा अपनी क्रीड़ाओं से भर दिया फिर आए राहगीर पक्षियों के मंथर झुंड काँपते आकाश को सुतल करते
हिंदी समय में ज्ञानेंद्रपति की रचनाएँ