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कविता

पाँच चिड़ियों ने

ज्ञानेंद्रपति


पाँच चिड़ियों ने
खाली आकाश को
सूने घाट पर नहाने आई सखियों-सा
अपनी क्रीड़ाओं से भर दिया

फिर आए
राहगीर पक्षियों के
मंथर झुंड
काँपते आकाश को
सुतल करते

 


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हिंदी समय में ज्ञानेंद्रपति की रचनाएँ