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कविता

मिल्कियत

ज्ञानेंद्रपति


अटारी किसी की हो
कंगूरे की मालिक है चिड़िया
पेड़ सामंतों के हैं या सरकार के
पतझड़ हमारा है

 


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हिंदी समय में ज्ञानेंद्रपति की रचनाएँ