hindisamay head


अ+ अ-

कविता

आराम से या तकलीफ से

जीत नाराइन


आराम से या तकलीफ में, जीव तो जीता है लगातार

होश में अपना प्‍यारा जीवन, बच्‍चे
रोज रोज दिन नहीं गिनते
एक घटना से दूसरी घटना तक तो तुम रास्‍ता सीधे खींच सकते हो

लेकिन घटना जीवन का मोड़ है
उसके ढकेलने से लोग रास्‍ता पकड़ते हैं
इसी चक्‍कर में रास्‍ता मिलता और रास्‍ता खोता है
खोजने में कभी ठीक लगता है और कभी बुरा लगता है।
जीवन तो अपना जानते हैं
घटना से जुडा़ रहना ही वह माँगते हैं

समय घटता है और बढ़ता है
हर सोच के मोड़ पर गाँठ तो बँधती है

कभी दर्द करता है, कभी आनंद देता है
क्षण में भिखारी, क्षण में दानी, मेहनत के चाल में
कभी फायदा और कभी हानि

सहमत में धान ओसाते और भूसा अलगाते हुए
तुम लोगों के हाथ में है
भूख मारने के लिए चावल से बखार भरते गए
तब सुख के सामना में भूख नहीं टालनी है अब
आशीर्वाद दो तकदीर को
जो अब खुलकर निहार रही है।

कल्‍पना में बचा ही है क्‍या?

इतिहास भरने के लिए याद को छोड़कर
कल्‍पना में बचा ही है क्‍या?

लिखा-पढी़ किसी पुस्‍तकालय में छुपछुपाकर पडी़ हुई है
जैसे परवासी के शुरू और अंत की तारीख गढी़ है।

चोर चुहाड़, झगडा-फसाद, मार-पीट करनेवालों के नाम
यदि एक भी सम्‍मान से छपे होते
मन को नहीं फिबता है, शरम आती है

गिरमिट, गरीबी, हाल, हड़ताल की बयानबाजी
कितने मरे, मारे गए, सिर्फ घायल हुओं की गिनती हुई
जबकि इतिहास है ये लगभग
तो फिर, सिर्फ याद भर करने के लिए ही इसका साथ क्‍यो हैं?

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में जीत नाराइन की रचनाएँ