hindisamay head


अ+ अ-

कविता

दिन में हम काम करें

जीत नाराइन


दिन में हम काम करें, रात देखें सपना।
आजा के सूरत लगे, थोडा़-थोडा़ अपना।।

जहाज का नाम ही नहीं है लाला रूखवा।
देश का नाम हुआ नीदरलैंड बबुआ।।

के अलम से उडे़ हम छोड़ सरनाम को।
याद जो तुम्‍हारी आयी, खोजे इतिहास को।।

कथा का रस नहीं कोई पंचामृतवा।
कथा की कसक में कसा है मेरा मनवा।।

क्‍यों उन्‍होंने भारत छोडा़, इसे हम समझते हैं।
भारत उसे नहीं छोडा़, जिसे हम सहते हैं।।

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में जीत नाराइन की रचनाएँ