धूप में तन कर खड़े हैं पेड़ अँधेरे में खास कर जो बन गए थे ऊँट-घोड़ा, गाय बकरी भेंड़। पत्तियों का मुरैठा बाँधे शाख है, या हल कोई कांधे ये चुनौती सामना मुठभेड़। शाह का प्लान या आँधी फिर हवा की डुगडुगी बाजी खेत पर कब्जा किए हैं मेड़।
हिंदी समय में देवेंद्र कुमार बंगाली की रचनाएँ