अ+ अ-
|
कोई लता अचानक किसी पेड़ की गर्दन से लिपट गई
खून का दबाव भयानक हुआ... और
पत्तियाँ गिर पड़ीं जमीन पर,
चू पड़ीं
शहरों से कस्बों तक सड़कों पर दिख रहे
नन्हें चमकीले साँप
जहर भरे दोजखी
कान-आँख-नाक कहीं घुस जाने वाले
बिल्ली के पुरखे,
वे चमकीली आँखों से घूरते हैं
बार-बार मत्स्यगंधा छोकरी की
आँतों से कसे हुए सपनों को
खुफिया जासूस हैं हवाएँ,
उनचास पवन दुश्मन के ठीहे पर बा-कतार
भरते हैं हाजिरी,
हर अग्निकांड के पहले और बाद
भाड़ में जाय ऐसी नीली मीमांसा
हत्या को आत्महत्या की बोतल में बंद करो
बहा दो खारे पानी के आसमान में
आत्महत्या के आजू-बाजू कंधों
सभ्यता के देवदूत बैठा दो
चलो अब तुम्हारे चमन को चलें ...
|
|