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कविता

अथ अचारोत्सव

मृत्युंजय


झारखंड और छत्तीसगढ़ से आम तोड़िए
कंद खोदिए
बेल्लारी से तेल मँगाएँ असेंबली का
पाँच राज्यों से पँचफोड़न लाएँ
नामक मिलेगा मीडिया वालों को बस साधें
उनकी दुम में लड़ी पटाखे की जी बाँधें
JPC की बहुत जरूरी खट्टी-तीखी मिर्ची लाएँ
संसद रूपी मर्तबान में इसे पकाएँ
अफसर-तफसर नेता अभिनेता और मंत्री
पुलिस फौज फाटा सब मिलकर बाड़ लगाएँ,
इसे रखाएँ
जमा करें अब स्विस बैंक में कई साल तक
फिर ले आएँ सेज नगर में
कंकालों के सिंहासन पर बैठें
चटखारे लेकर खाएँ !

 


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हिंदी समय में मृत्युंजय की रचनाएँ