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कविता

रोजगार की बेरोजगारी

मृत्युंजय


बेरोजगारी के जमाने में पक्का बेरोजगार होना काफी मुश्किल है!
क्योंकि इसका मतलब होगा बेरोजगारी का रोजगार।

वैसे हर रोजगार रोज रोज किसी गार में जाने से कम नहीं
और 'बे' साहब का यह तखल्लुस भी काफी जमता है उनपर
फिर भी दिल है के फुर्सत के बहाने ढूँढ़ने के लिए राजी ही नहीं होता।

फरेब की छोड़िए, अमरीकियों और उनके चेलों चपाटों के लिए
मैं तो राजी हूँ कि ई-मानदारी बरतूँगा
एफ-एक्टिविस्ट भी बनूँगा
डी-कंस्ट्रक्ट हो जाऊँगा
पर जिम्मा तो ले कोई
रोजगार की बेरोजगारी का।

 


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