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एक दिन मैं तुम्हें
भीगता हुआ देखना चाहता हूँ
प्रिये
बारिश हो और हवा भी हो झकझोर
तुम जंगल का रास्ता भूलकर
भीग रही हो
एक निचाट युवा पेड़ की तरह
तुम अकेले भीगो
मैं भटके हुए मेघ की तरह
तुम्हें देखूँ
तुम्हें पता न चले कि
मैं तुम्हें देख रहा हूँ
फूल की तरह खिलते हुए
तुम्हारे अंग अंग को देखूँ
और मुझे पृथ्वी की याद आए
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