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कविता

चुप्पी

संतोष कुमार चतुर्वेदी


चुप्पी
एक मानचित्र है
जिसे बॉटा जा सकता है
मनमाने तरीके से
लकीर खींच कर

चुप्पी
एक गोताखोर की गहरी डुबकी है
उफनते समुद्र में
जिसके बारे में नहीं बता सकता
किनारे खड़ा कोई व्यक्ति
कि अचानक कहाँ से
निकल पड़ेगा गोताखोर

चुप्पी
किसी डायरी का कोरा पन्ना है
जिस पर मन की स्याही से
की जा सकती है
किसिम किसिम की चित्रकारी

सहमति असहमति के बीच की
एक महीन आवाज है चुप्पी

लेकिन साथ ही
निर्बल का एक अचूक और अबोला
हथियार भी है चुप्पी
जिसमें मन ही मन

गरियाता है
लतियाता है
वह किसी भी दबंग को
हींक भर

 


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