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कविता

हमरा सँगे अजीब करामात हो गइल

मनोज भावुक


हमरा सँगे अजीब करामात हो गइल
सूरज खड़ा बा सामने आ रात हो गइल

एह मोड़ पर हमार ई हालात हो गइल
खुद जिंदगी भी बाटे सवालात हो गइल

परिचय हमार पूछ रहल बा घरे के लोग
अइसन हमार हाय रे, औकात हो गइल

जमकल रहित करेज में कहिया ले ई भला
अच्छे भइल जे दर्द के बरसात हो गइल

'भावुक' हो! हमरा वास्ते बाटे बहुत कठिन
भीतर जहर उतार के सुकरात हो गइल

 


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