मुखपृष्ठ
उपन्यास
कहानी
कविता
व्यंग्य
नाटक
निबंध
आलोचना
विमर्श
बाल साहित्य
संस्मरण
यात्रा वृत्तांत
सिनेमा
विविध
विविध
लघुकथाएँ
लोककथा
बात-चीत
वैचारिकी
शोध
डायरी
आत्मकथा
पत्र
डायरी
सूक्तियाँ
आत्मकथ्य
रचना प्रक्रिया
व्याख्यान
लेख
बात
शब्द चर्चा
अन्यत्र
जिज्ञासा
जीवनी
अन्य
कोश
समग्र-संचयन
समग्र-संचयन
अज्ञेय रचना संचयन
कबीर ग्रंथावली
मोहन राकेश संचयन
'हरिऔध' समग्र
प्रेमचंद समग्र
भारतेंदु हरिश्चंद्र
रामचंद्र शुक्ल समग्र
सहजानंद सरस्वती समग्र
रहीम ग्रंथावली
आडियो/वीडियो
अनुवाद
हमारे रचनाकार
हिंदी लेखक
अभिलेखागार
हमारे प्रकाशन
खोज
संपर्क
विश्वविद्यालय
संग्रहालय
लेखक को जानिए
अ+
अ-
Change Script to
Urdu
Roman
Devnagari
कविता
खेतों का अस्वीकार
जितेंद्र श्रीवास्तव
अनुक्रम
पीछे
   
आगे
शीर्ष पर जाएँ
हिंदी समय में जितेंद्र श्रीवास्तव की रचनाएँ
कविताएँ
अपनों के मन का
अबकी मिलना तो !
इस गृहस्थी में
उम्मीद
एक घर था और एक सिनेमाघर
कैंची
कला
किसी ईश्वर से अधिक विराट
खेतों का अस्वीकार
गाँव का दक्खिन हो गया है "आखिरी आदमी"
घर प्रतीक्षा करेगा
चुप्पी का समाजशास्त्र
जब धर्म ध्वजाएँ लथपथ हैं मासूमों के रक्त से
जब हँसता है कोई किसान
जरूर जाऊँगा कलकत्ता
जैसे हाथ हो दायाँ
तमकुही कोठी का मैदान
तुम्हारे साथ चलते हुए
दृष्टिकोण
धीरे से कहती थी नानी
नींद
पत्नी पूछती है कुछ वैसा ही प्रश्न जो कभी पूछा था माँ ने पिता से
प्रकृति बचाती रहेगी पृथ्वी को निस्वप्न होने से
परवीन बाबी
मन की पृथ्वी
मन को उर्वर बनाने के लिए
माँ का सुख
रामदुलारी
लोकतंत्र का समकालीन प्रमेय
वे योद्धा हैं नई सदी के जो गा रहे हैं नई संस्कृति के सृजन का गीत
वह बहुत डरता है
विद्रोह
शुक्रिया मेरी दोस्त!
सुख
संजना तिवारी
सपने अधूरी सवारी के विरुद्ध होते हैं
सबसे हसीन सपने
स्मृतियाँ
साहब लोग रेनकोट ढूँढ़ रहे हैं
हिमपात
लेख
नामवर सिंह होने का अर्थ
शीर्ष पर जाएँ
मुखपृष्ठ
उपन्यास
कहानी
कविता
व्यंग्य
नाटक
निबंध
आलोचना
विमर्श
बाल साहित्य
विविध
समग्र-संचयन
अनुवाद
हमारे रचनाकार
हिंदी लेखक
अभिलेखागार
हमारे प्रकाशन
खोज
संपर्क
विश्वविद्यालय
संग्रहालय