(अमृतध्वनि छंद)
डकडर बिना न जात बा, अइसन बा बरजाद । आइल तीर्थ प्रयाग से, कुम्भज्जबर परसाद ॥ कुम्भज्जवर परसादध्धर तन कम्पत्थरथर । आँखझ्झरझर नाकसरसर साँस्घ्घरघर ॥ बन्दघ्घर मन मन्दत्तर निस्पन्ददिदनभर ॥ तारच्छिकत कपारध्धिकत पधार डकडर ॥12॥
हिंदी समय में धरीक्षण मिश्र की रचनाएँ