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					घिरा पिल्लुओं से, जोंकों से 
					असह बदबुओं के झोंकों से 
					थूथन पर गंदगी उठाए 
					करता पंक-विहार सुअरवा 
					 
					पंक-अरगजा अंक लपेटे 
					पंक-अंक का अंतर मेटे 
					पंक-पाग सर पर थकियाए 
					बना पंक-सरदार सुअरवा 
					 
					मैं भरमाता, विस्मित होता 
					सोच-सोचकर सुध-बुध खोता 
					तुमने ही जल-प्रलय में किया 
					धरती का उद्धार सुअरवा 
					 
					तुमरी जै-जैकार सुअरवा 
					तुमको है घिक्कार सुअरवा ! 
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