कविता
इच्छा अरुण कमल
मैं जब उठूँ तो भादों हो पूरा चंद्रमा उगा हो ताड़ के फल सा गंगा भरी हों धरती के बराबर खेत धान से धधाए और हवा में तीज त्यौहार की गमक इतना भरा हो संसार कि जब मैं उठूँ तो चींटी भर जगह भी खाली न हो।
हिंदी समय में अरुण कमल की रचनाएँ