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मैंने गौर से देखा और पाया कि राष्ट्र के प्रधान के
जीवन में नींद नहीं
मंत्रिमंडल की बैठक हमेशा देर रात
हर जरूरी फैसला आधी रात के बाद
फौज की तैनाती का हुक्म ढाई बजे रात
विरोधियों की नजरबंदी का आदेश पौने तीन
चीनी पर टैक्स बढ़ाने का फैसला मध्य रात्रि के इर्द गिर्द
विदेश यात्रा की उड़ान रात दो बजे
विदेशी मेहमान का विमानपत्तन पर स्वागत तीन बजे
हत्यारों से मंत्रणा किसी भी क्षण
जीवन में नींद नहीं
राजा चुपके से काटता है चक्कर रात में
नए नए भेस में अलग अलग घात में
जो सोए उनके माथे से तकिया खींचता
फेंकता खलिहान में लुकाठी
मसोमात के खेत से मूली उखाड़ता
खोलता बदरू की पाठी
गुद्दा गटक फेंकता आँगनों में आँठी
जीवन में नींद नहीं
माना कि वहाँ बहुत उजाला है
फिर भी रात में रात तो है ही
और इधर आलम ये कि नौ बजते बजते ढेर
और दस तक तो देह के सोर पुरजे खोल
मैं विसर्जित हो जाता हूँ महासमुद्र में
सो, मैं भारत का एक नागरिक, एतद् द्वारा घोषणा करता हूँ कि
नींद
मुझे राष्ट्र के सर्वोच्च पद से ज्यादा प्यारी है।
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