अ+ अ-
|
वे बहुत खुश हैं
हँस रहे हैं बात-बात पर
दिन ब दिन जवान हो रहे हैं
लूट का माल तो उनके भी हाथ लगा
पर उनके हाथ पर एक बूँद खून नहीं
उन्हें सब पता है - कौन लोग दरवाजा तोड़ कर
देसी बंदूक लिए घर में घुसे
मर्दों को खाट से बाँधा
औरतों की इज्जत उतारी
नाक की नथ उतारी
कंगन उतारने में जोर पड़ा तो छ्प से
छाँट दी हथेली -
उन्होंने वो कंगन खुद अपनी बहन को
रात में पहनाया
कहीं एक बूँद खून नहीं
जितना पवित्र पहले थे
उतने ही पवित्र हैं आज भी, निष्कलुष
उनके खिलाफ कुछ भी सबूत नहीं
जो निर्दोष हैं वे दंग हैं हैरत से चुप हैं
शक है उन पर जो निर्दोष हैं क्योंकि वे चुप हैं
क्योंकि वे चुप हैं।
|
|