चंदा मामा, दौड़े आओ दूध कटोरा भरकर लाओ। उसे प्यार से मुझे पिलाओ मुझ पर छिड़क चाँदनी जाओ। मैं तेरा मृग छौना लूँगा उसके साथ हँसूँ-खेलूँगा। उसकी उछल-कूद देखूँगा उसको चाटूँगा, चूमूँगा।
हिंदी समय में अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की रचनाएँ