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कविता

अकस्मात नहीं है कुछ भी

राजकुमार कुंभज


अकस्मात नहीं है कुछ भी
अकस्मात नहीं होता है कुछ भी
अकस्मात होने से पहले-पहल भी
होता है, होता ही है, बहुत कुछ
सिगरेट के पॉकेट पर लिखी होती है चेतावनी
लिखी चेतावनी पढ़ने के बावजूद
लोग पीते हैं सिगरेट
शराब के लेबल पर लिखी होती है चेतावनी
लिखी चेतावनी पढ़ने के बावजूद
लोग पीते हैं शराब
सड़कछाप दीवारों पर लिखी होती है चेतावनी
लिखी चेतावनी पढ़ने के बावजूद
लोग मूतते हैं वहीं
जहाँ-जहाँ लिखी होती है चेतावनियाँ
वहाँ-वहाँ अगर मूतते हैं लोग
तो यही है लोकतंत्र
प्रतिबंध हटाओ, लोकतंत्र बनाओ
प्रतिबंध हटाने या हटवाने में जाएगी जान भी, तो भी
अकस्मात नहीं है कुछ भी।

 


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