ये कैसा जीवन ? सात-समुंदर लहरें, सात समुंदर मन फिर जित देखूँ तित उलझन ही उलझन पाइंट टू बी नोटेड यूअर ऑनर कि मेरी मुझसे ही अनबन ये कैसा जीवन?
हिंदी समय में राजकुमार कुंभज की रचनाएँ