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कविता

मेरे विचार में विचार की तरह

राजकुमार कुंभज


बेहद खतरनाक हैं स्थितियाँ
प्रतिबंधों के बावजूद खनन करती हैं कंपनियाँ
ट्रकों में भर-भर कर निर्यात किया जा रहा है
लौह अयस्क और लड़ने का माद्‍दा
आखिर उस लोहे से लोहा लेगा कौन
जो हरे-हरे वृक्ष के विरुद्ध ?
बेहद खतरनाक हैं चांडाल की मुस्कुराहटें
ऐसे में उस लोहे को छूना चाहता हूँ मैं
धधकती भट्‍टी में निरंतर तप रहा है जो
मेरे विचार में, विचार की तरह।

 


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