जिंदगी का पाजामा वक्त के नाड़े से बँधा है वक्त हुआ खत्म कि टूटा नाड़ा और हिचकोले खाता जहाज डूबा मंझधार
हिंदी समय में राजकुमार कुंभज की रचनाएँ