जो ठठाकर हँसता है अभी जानता नहीं है जिंदगी की सच्चाइयाँ जान लेगा जब सच्चाइयाँ सब दो आँसू भी बहुत होंगे हँसने से पहले।
हिंदी समय में राजकुमार कुंभज की रचनाएँ