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					मनुष्य के इतने लंबे जीवन सेयह अनुभव तो आया ही है
 कि जिंदा रहने का मतलब
 उजली आवाज की परवरिश में होना है
 आवाज की धूप
 इबारत में एक सूरज की जगह बनाती है।
 
 अन्याय-अंधेर के खिलाफ
 बियाबान को तोड़ती
 कंठ में बह रही है आवाज
 
 गुलामी के दिनों में
 गाँधी की आवाज
 देती रही हमें स्वतंत्रता की तमीज
 आज भी हम मानते हैं
 गाँधी की आवाज
 मनुष्यता की पाठशाला है
 नेल्सन मंडेला की जुबान से
 बापू की आवाज ने
 अफ्रीका को भी दी स्वतंत्रता की राह
 
 आवाज के सहारे ही हम पार करते हैं
 अबूझ जंगल और ऊँचे पहाड़
 राह तो आवाज की सनातन सँघाती है
 आवाज का चुप से सघन रिश्ता है
 और शुरू से ही हैं दोनों एक दूसरे के आसपास
 आवाज के होंठ जब नहीं खुलते
 चुप्पी की आवाज से हम पढ़ सकते हैं
 आवाज की धड़कन। शोर आवाज नहीं है।
 
 आवाज से ही हम करते हैं
 तबादला-ए-खयाल
 और बुनते रहते हैं परस्परता
 
 आवाज को बंद कराने के लिए ही
 तानाशाह खड़ी करते हैं फरमानों की दीवार
 और तैनात करते हैं हथियारों से लैस गारद
 हुक्मरानों को सब से अधिक खतरा
 आवाज से ही रहा है बरहमेश
 इसीलिए वे आवाज पर नजर रखने के लिए
 सक्रिय रखते हैं अपना खुफिया-तंत्र
 आवाज भी कम जिद्दी नहीं है
 उसे जितना दबाया जाता है
 उतनी ही होती जाती है वह विकराल
 
 वक्त जब शामिल रहता है अँखमुँदी दौड़ में
 आवाज की उजास पर धूल गिरती रहती है।
 
 एक समय कुछ आवाजों में इतना अधिक लोहा था
 कि अगली बारिश में ही खा गई उन्हें जंग
 कुछ आवाजें ऐसी भी कि लालच की बाढ़ में
 मारी गई उनकी बाढ़
 
 आवाज हमारे जीवित रहने की मिसाल है
 हिदायत है कि हम मरे नहीं हैं।
 दिल-दिमाग की जुगलबंदी
 आवाज का आँगन अँजोर करती है।
 हर आवाज का एक छंद होता है
 
 हर भावना का एक बंद
 जो खोलता है वह उजाले का पक्षधर है
 
 आवाज की उष्मा-हरियाली से ही
 उजड़ता नहीं आकाश-वृक्ष
 और धरती की उर्वरता पर
 बना रहता है हमारा विश्वास
 
 आवाज और आदमी समकालीन हैं
 हर शब्द में
 आदमी की मेहनत दिखती है!
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