परियों के देश से जब भी आता वह - पिश्ते, बादाम, खजूर के साथ कथा परियों की सुनाता जाता। आजकल बड़ा उदास रहता वह पूछो तो - मुठ्ठी भर रेत उड़ाता और रूह तक मेरी रुला जाता।
हिंदी समय में अनिल कुमार पुरोहित की रचनाएँ