थानैं 'जिंगल' तो बना लिया
ते सबते अग्गे हरियाणा
सबते अच्छा हरियाणा
नंबर वन हरियाणा।
पर म्हारा हरियाणा थारे
हरियाणा ते अलग क्यों?
मानूँ तो कोख मा ही मार दिया जावै
अगर जन्म ले वी लेलैं
तो पानी की बाल्टी मा डुबो के
नहीं तो टेंटुआ दबा के
जुबान पर 'आक' का रस या
कैसे बी मार दैं छोरियाँ नाँ
जो बच जावै, माँ जिद्द करके
छाती नूँ लगा लैं उनानूँ
वो जिंदा रवैं ढोर की तरह
न स्कूल भेजैं, न पढ़ाई, न लखाई
न कोई हुनर देवै उनानूँ।
घर गृहस्थी का भार ढोवें
घर माँ टिककड़ पोवै, गोबर थापैं
दूसराँ की जिंदगी जीवैं
उनहाँ के हिसाब ते अपनी
जिंदगी चलावें, तो नी
आदमी की मार खावें
पैर की जूती समजी जावैं
आपने बी देख्या होएगा
औरत सिर पर गठरी रक्खे
पेट माँ बच्चा, एक गोद माँ
एक उँगली पकड़े जावै
आदमी के पिच्छे
आदमी मुड़ै, इब जल्दी पैर बढ़ा।
न वा गठरी पकड़ें, न बच्चे
की उँगली। मर्द जो होया
पर इनसान तो न होया।
औरताँ रोवै, दुखी रैवें
रिगड़ रिगड़ के जीवै
कोई एक हिम्मत करके
पुलिस थाने चली जावै
ता पुलसिया बोलै
जा री छोरी घर जा अपने
बाहर निकलेगी तो रंडी बना देंगे।
क्यों नेताजी!
म्हारा हरियाणा
सबते अग्गे कद होएगा...?
म्हानूँ साँस लेना मनाह
हँसना मनाह, घर ताँ
बाहर निकलना मनाह
प्यार करना जुर्म
बिना सुनवाई के फाँसी की सजा।
आपकी खाप पंचायत
क्या करैं छोरियाँ के साथ
अपनी पसंद का वर तलाश लै
अपनी मरजी ते, जात बिरादरी के बाहर
शादी कर लै तो मार के
पेड़ पर लटका दैं
आपसी रंजिश की सजा
छोरियाँ के बलत्कार मा देवै।
फिर कैसे नंबर वन हरियाणा?
आधी आबादी तो रिगड़ रिगड़ के मरे
अब तो हम आधी बी ना रही
दिन दिन मर रही छोरियाँ।
छोरियाँ नू मार के अब बहुएँ
खरीदन लाग रे, वंशज चहिए
एक लाख, दो लाख, कितने भी लाख
दो तीन बच्चे पैदा कर कै
चली जावें, उनके दलाल उन्हानूँ
दूसरे, तीसरे घर माँ बैठा दें
फेर आखिर उन्हानूँ
कोठे पर बैठा दें!
इब जागो नेताजी।
सोचो, विचारो, कोई हल निकालो
यो जुल्म, यो पा हो रया अै
इब बताओ म्हारे वास्ते
कद होएगा, सबते अच्छा हरियाणा
सबते ऊपर, नंबर वन हरियाणा?