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कविता

कौन था साक्षी ?

रुनु महांति

अनुवाद - शंकरलाल पुरोहित


उस दिन कौन था साक्षी ?

चिड़िया या चैती ? सागर या सूनी रात

फूल या फागुन, झींगुर या झाऊवन

कौन था साक्षी उस दिन ?

मैं किस खेत का तिनका

तुम किस वन की लड़की

किस स्रोत, किस नदी ने

हमें किया था एक साथ ?

अब कौन किधर

जैसे भेंट हुई नहीं कभी कहीं।

तुम्हें कहती

कितने सुंदर दिखते सफेद धोती पहन

लो, अगरु-चंदन, दूब, फूल

रखे तुम्हारे पाँव के लिए सहेज रखे।

कहती कान में, तुम्हारे लिए

आज से अवशिष्ट रात।


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