अपनी जगह पहचान लेती है लड़की एक कदम पीछे रहती है वह आगे जाने का मौका दे देती है लड़के को स्वीकार कर लेती है हँसकर तहखाना अपने लिए आसमान दे देती है लड़के को
हिंदी समय में अंजना वर्मा की रचनाएँ