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कविता

चीख
अरुण कोलटकर
संपादन - निशिकांत ठकार


बिलकुल अभी-अभी तक जहाँ
हिरोशिमा था
उस दिशा से आनेवाले

व मियुकी पुल से बहनेवाले
परछाइयों के रेले में
देखा है क्या किसी ने

एक स्कूली लड़की को
खून का किमोनो पहनी हुई
दग्धकेशा

गाल पर लटक रही है नीचे
उसकी दाहिनी आँख
खाँचे से बाहर फेंकी गई

उसके मुँह से उग आया है एक पेड़
चीखों का
किसी को भी न सुनाई देनेवाली

उसका स्कूल डूब गया है हमेशा के लिए
आग के दरिया में
उसके घर-बार समेत, गाँव समेत

वह दिखाई दी है क्या किसी को
या किसी के कैमरे को
और क्या हुआ आगे फिर उसका


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