नाव चलती है
हम ठहर जाते हैं
इस पार
नाव ठहरती है
हम चलने लगते हैं
उस पार!
('रेत में आकृतियाँ' संग्रह से)
हिंदी समय में श्रीप्रकाश शुक्ल की रचनाएँ