यहाँ आजकल हरा जंगल चरा मिलता है
भरा आकाश दरा मिलता है
फरा फल झरा मिलता है
खरा आदमी जरा मिलता है। ('ओरहन और अन्य कविताएँ' संग्रह से)
हिंदी समय में श्रीप्रकाश शुक्ल की रचनाएँ