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कविता

एकवचन

श्रीप्रकाश शुक्ल


विचित्र है जब तुम मेरे पास थी
मैं एकवचन में सोचा करता था

आज जब तुम दूर हो
मैं बहुवचन में सोचा करता हूँ

क्या बहुवचन ऐसे बनते हैं प्यारे
एकवचन को ठेलकर

यह सवाल तुमसे नहीं खुद से पूछता हूँ
जब यहाँ हूँ

रेत पर खड़ा हूँ

और नदी को बहता हुआ देख रहा हूँ।

('ओरहन और अन्य कविताएँ' संग्रह से)


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